ब्यावरा राजगढ़।  दीपावली त्यौहार में तिथियों के फेर को लेकर ज्योतिषों के मतों में भिन्नता से अब लोगों के मन में उलझन है। वर्तमान में दीपावली त्यौहार विद्वानों के अलग मतों से 31अक्टूबर को मनाना श्रेष्ठ और फलदायी बता रहे हैं। तो कुछ विद्वानों का मत है एक नवंबर को त्यौहार मनाने की बात कर रहे हैं। शहर में हाल ही दो जिलों राजगढ़ एवं गुना जिले के ज्योतिष विद्वानों ने बैठकर हाल ही में निर्णय लिया कि 1 नवंबर को दीपावली मनाना शुभ रहेगा। सनत महाराज गुना ने दीपावली के त्यौहार को लेकर बनी भ्रम की स्थिति पर ज्योतिषों और विद्वानों को जमकर खरी खोटी सुनाई है। सनत महाराज ने कहा है कि ज्योतिष विद्वानों के एक मत नहीं होने से यह स्थिति बनी है, और दीपावली ही नहीं हर त्यौहार पर यह स्थिति बन रही है।आज कोई भी खुद को आकर ज्योतिष बताएं और अपनी राय रख देगा और शोसल मीडीया पर डाल देगा। उन्होंने कहा कि जो विद्वान और जानकार ज्योतिष हैं, वह अपने घरों में बैठे हैं। पहले लोग ब्राह्मण और विद्वानों के पास घरों पर जाकर त्योहार और मुहूर्त पूछते थे लेकिन अब विद्वान खुद लोगों के घर जाकर बता रहे हैं। इसलिए भ्रम की स्थितियां बन रही हैं। उन्होंने कहा है कि मैं किसी का विरोध नहीं कर रहा हूं और विद्वानों के अलग-अलग मतों से असहमत भी नहीं हूं , लेकिन त्योहारों के लिए यह ठीक नहीं है। सभी विद्वान और ज्योतिषों को इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि हर त्यौहार दो-दो दिन और अलग-अलग मानेंगे तो इससे हमारे सनातनी परंपरा संस्कृति और त्योहार प्रभावित होंगे।इसके पीछे उन्हौने कई कारण और वेद शास्त्रों, के उदाहरण भी रखे अंत में ज्योतिषों और विद्वानों ने बैठकर यह निर्णय लिया है कि एक नवम्बर को दीपावली मनाना शुभ रहेगा।

     उधर विश्व पंचाग मथुरा के समन्वयक प्रो.विनय कुमार पांण्डे के मुताविक 01 नवम्बर को किसी भी मत से दीपावली मनाना शास्त्रोंचित नही है।शास्त्रो में दीपावली निर्णय के लिये मुख्य काल प्रदोष में होना जरूरी माना गया है। इसवर्ष प्रदोष (2 घंटे 24 मिनट) और निशीथ (अर्ध रात्री) में अमावस्या 31अक्टूम्वर को पड रही है। इसलिए 31को ही दीपावली मनाया जाना शास्त्र सम्मत बताया जा रहा है। 

    उन्होने बताया कि अमावस्या का आरम्भ 31 अक्टूम्बर को सूर्याअस्त के पहले होकर 01नवम्बर 2024 को सूर्याअस्त के पूर्व ही समाप्त भी हो रही है।