बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार के खिलाफ विशाल आक्रोश रैली मंगलवार को । क्लब ग्राउंड पर एकत्र होगा सकल हिन्दू समाज, रैली के बाद पीपल चौराहे पर होगी सभा
सुरेश शर्मा, मुख्य संपादक
01 दिसम्बर 2024 ब्यावरा राजगढ़ म.प्र.
ब्यावरा। बांग्लादेश में 77 - 78 वर्षों के बाद इतिहास दोहराया जा रहा हैं। वही चीखें, वहीं रुह कापता करुण क्रंदन, वही आंसुओं से डबडबाई आंखें, वहीं पाशवी बलात्कार के बाद फेंकी गई बिभत्स लाशे, वहीं उजड़े हुए - जलते हुए घर, वहीं खामोश, मूकदर्शक बना स्थानीय प्रशासन, और वही असहाय हिंदू...! विभाजन के समय का दृश्य पूरे, बांग्लादेश में पुनः प्रस्तुत हो रहा हैं। वैसे बांग्लादेश के लिए यह नया नहीं हैं। बांग्लादेश के हिंदुओं के अदम्य साहस से चिढ़ कर, वहां के अतिवादी मुसलमानों ने, 5 अगस्त 2024 से हिंदुओं के जिनोसाइड को दोहराना प्रारंभ कर दिया हैं। जुलाई 2024 को प्रारंभ हुआ छात्रों का आंदोलन, प्रारंभ में तो तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के विरोध में था। अनेक बाहरी ताकते इस आंदोलन में शामिल थी। किंतु जैसे ही सोमवार 5 अगस्त को शेख हसीना ने इस्तीफा देकर देश से पलायन किया, वैसे ही यह सारा आंदोलन हिंदू-बौद्ध नागरिकों के विरोध में चला गया। तब से चार महीने होते आए हैं, हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ते ही जा रहे हैं। इस अत्याचार के खिलाफ ब्यावरा में कल दिनांक 3 दिसंबर को विशाल आक्रोश रैली सकल हिन्दू समाज द्वारा निकाली जाएगी। 3 दिसंबर को दोपहर 12:30 बजे स्थानीय क्लब ग्राउंड पर हिंदू समाज एकत्र होगा। यहाँ से विशाल आक्रोश रैली नगर भर में निकाली जाएगी। रैली का समापन पीपल चौराहे पर विशाल सभा के बाद होगा। इस रैली में जिले भर के हजारों लोग शामिल होंगे।
इसलिए हिन्दू समाज में आक्रोश
बंगलादेश में मात्र 5 अगस्त से 31 अगस्त के बीच, 49 हाई स्कूल और कॉलेज के हिंदू शिक्षकों से जबरन, गलत रूप से, अपनी नौकरी से त्यागपत्र लिए गए। चांदपुर जिले के फरीदगंज गांव के, गल्लक आदर्श डिग्री कॉलेज के प्राचार्य हरिपद दास को मुस्लिम विद्यार्थियों ने अत्यंत घृणास्पद और अमानुष तरीके से अपमानित किया। बांग्लादेश सरकार ने 5 अगस्त के बाद, एक ही महीने में 252 पुलिस अधिकारियों को नौकरी से निकाल दिया। बांग्लादेश में अब एक भी हिंदू पुलिस अधिकारी नहीं है।
अकेले खुलना डिविजन का ही उदाहरण ले, तो वहां अब भी हिंदुओं पर हिंसा का तांडव चल रहा हैं। 5 अगस्त की रात को खुलना डिविजन के जशोर शहर के पास, बेजापारा गांव में रहने वाले, 200 हिंदू परिवारों पर जबरदस्त आक्रमण हुआ। उनके घर लूट गए। जिंदा व्यक्तियों के साथ घर जला दिए गए। महिलाओं को भगाकर ले जाया गया। पुलिस ने फोन भी नहीं उठाया। हिंदुओं पर हो रहे इस बिभत्स और नृशंस आक्रमण को, बांग्लादेश की पुलिस, मूकदर्शक बन देखती रही।
6 अगस्त को भी हिंदुओं पर आक्रमण जारी रहा। बागेरहाट सदर उपजिला में, वहां के लोकप्रिय सेवानिवृत्त स्कूल टीचर, मृणाल कांति चटर्जी को बेदर्दी से काटकर मार डाला गया। जेशोर शहर में उस दिन, 50 हिंदू घरों को लूटकर, उन्हें आग के हवाले किया गया।
हिन्दू मंदिरों पर लगातार हमले
खुलना डिविजन के मेहरपुर में इस्कॉन का बहुत बड़ा मंदिर था। उसमें काली मां की बड़ी प्रतिमा थी। साथ ही भगवान जगन्नाथ, बलदेव और सुभद्रा की भी मूर्तियां थी। उस मंदिर को तोड़ा गया। मूर्तियों को फोड़ा गया। उन पर लघुशंका की गई। इस वर्ष दुर्गा पूजा से पहले, बांग्लादेश में, सभी दुर्गा पूजा पंडालों को कहा गया, कि इस बार दुर्गा पूजा नहीं करनी हैं। फिर भी हिम्मत करके, जहां हिंदुओं ने दुर्गा पूजा के पंडाल लगाएं, वहां उन्हें तोड़ा गया। अनेक स्थानों पर मां दुर्गा की, मां काली की प्रतिमा को खंडित किया गया। *राजधानी ढाका के बीचो-बीच, चार मंदिरों के दुर्गा पूजा पंडालों में, मां दुर्गा की मूर्ति को दारू से नहला कर, उन्हें खंडित कर, उन खंडित मूर्तियों के सामने बिभत्स नृत्य किया गया। वहां हिंदुओं के विरोध प्रदर्शन से बांग्लादेश की सरकार बौखला गई। उसने इस्कॉन के प्रमुख संत, 'चिन्मय कृष्णदास ब्रह्मचारी' को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया। इसके विरोध में हिंदुओं ने प्रदर्शन किये। तो, कल शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के बाद, अतिवादी मुसलमानों ने, बड़े शहरों के अनेक मंदिरों पर आक्रमण करके, मंदिरों में स्थापित भगवान की मूर्तियों को ध्वस्त किया है। बांग्लादेश अशांत है। उबल रहा है। वह अराजकता के कब्जे में चला गया है। वहां हिंदू सुरक्षित नहीं हैं। उस का घरबार छिन गया हैं।वह रातों को सो नहीं पा रहा हैं। वह अपने जीवन की लड़ाई लड़ रहा है, क्योंकि वह अपनी मातृभूमि छोड़ना नहीं चाह रहा हैं..!